रायपुर। छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों में अब महापौर और अध्यक्ष को चुनने का अधिकार वापस जनता को मिलेगा। यानी आगामी निकाय चुनाव में मतदाता पार्षद...
रायपुर। छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों में अब महापौर और अध्यक्ष को चुनने का अधिकार वापस जनता को मिलेगा। यानी आगामी निकाय चुनाव में मतदाता पार्षद और महापौर के लिए दो मतदान करेंगी। यह फैसला सोमवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया।
साय सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के फैसले को पलट दिया है। इसके अलावा नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण नियम में भी बदलाव किया गया है। कैबिनेट की बैठक नगरीय निकाय चुनाव से जुड़े नियमों में बदलाव करने का फैसला हुआ है।
इसके तहत कैबिनेट ने संशोधित छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 (संशोधन) अध्यादेश 2024 एवं छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 (संशोधन) अध्यादेश 2024 (प्रत्यक्ष निर्वाचन एवं आरक्षण संबंधित प्रावधान) की विभिन्न धाराओं में संशोधन करेगी।
अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से मिला था अधिकार
जनता को महापौर और अध्यक्ष चुनने का अधिकार अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से दिया गया था। अविभाजित मध्य प्रदेश राज्य में 1999 के पूर्व नगर पालिक निगमों में महापौर तथा नगर पालिकाओं के अध्यक्ष का निर्वाचन प्रत्यक्ष रीति से होता था।
राज्य निर्माण के बाद यह नियम छत्तीसगढ़ में भी लागू था। इसके बाद वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता का परिवर्तन हुआ और तत्कालीन कांग्रेस ने इनका निर्वाचन को अप्रत्यक्ष रीति से कराए जाने का निर्णय लिया था।
इसकी अधिसूचना का प्रकाशन राजपत्र में 12 दिसम्बर 2019 को किया गया था। इसके बाद हुए निकाय चुनाव में पार्षदों ने महापौर को चुना था। इसका फायदा कांग्रेस को मिला था। अधिकांश निकायों में महापौर और अध्यक्ष के पद पर कांग्रेस का कब्जा हुआ था।
No comments