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भारत के 12.40 लाख केमिस्ट व ड्रगिस्ट की मांग जीएसआर 220 (ई) को किया जाए रद्द, नहीं तो करेंगे आंदोलन

रायपुर। कोविड-19 महामारी के दौरान घर-घर दवाइयां पहुंचाने की विशेष अनुमति, जिसका अवैध ऑनलाइन प्लेटफॉर्म स्विगी और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्मस के ...


रायपुर। कोविड-19 महामारी के दौरान घर-घर दवाइयां पहुंचाने की विशेष अनुमति, जिसका अवैध ऑनलाइन प्लेटफॉर्म स्विगी और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्मस के द्वारा दुरूपयोग किया जा रहा है और यह जन स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रही है। अखिल भारतीय केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट संगठन (एआईओसीडी) के 12.40 लाख केमिस्ट एवं वितरकों ने तीसरी बार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर कोविड-19 महामारी के दौरान जारी अधिसूचना जीएसआर 220 (ई) को रद्द करने की अपील की है। अगर इस पर जल्द फैसला नहीं लिया जाता है तो केमिस्ट व ड्रगिस्ट पहले मौन जुलूस निकालेंगे, इसके बाद भी निर्णय नहीं लिया जाता है तो पूरे देश भर के केमिस्ट व ड्रगिस्ट अपनी दुकानें बंद कर देंगे और इसके जिम्मेदार केंद्र व राज्य सरकार दोनों होंगे। ये बातें छत्तीसगढ़ केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन (सीसीडीए) के अध्यक्ष उमेश सिरोठिया और महासचिव अविनाश अग्रवाल ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि देश भर में 17 हजार केमिस्ट व ड्रगिस्ट है जिनमें छत्तीसगढ़ में 35 हजार सदस्य है और वे नहीं चाहते है अपनी दुकानें बंद करें क्योंकि इससे आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़े। 


सिरोठिया ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार जीएसआर 220 (ई) कोविड महामारी के दौरान मार्च 2020 में की गई थी। जिसमें दवाओं के निर्माण, बिकी और वितरण को विनियमित करने के लिए औषधि अधिनियम की धारा 26 बी के तहत कुछ शर्तों के साथ आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया था, और इसके तहत घर-घर दवाइयों की आपूर्ति की अनुमति दी गई थी और कुछ नियमों, जैसे दवाओं की बिकी के लिए प्रिस्किप्शन पर मुहर लगाने की आवश्यकता (नियम 65) को अस्थायी रूप से केवल विशेष परिस्थितियों के रूप में अलग रखा गया। इस अधिसुचना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय दवा विक्रेताओं के माध्यम से आपातकालीन स्थितियों में दवाओं की डिलीवरी करना था, लेकिन अब स्विगी और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्मस द्वारा आवश्यक नियामक सुरक्षा उपायों का पालन किए बिना घर पर दवाएं पहुंचाने के लिए इसका दुरूपयोग किया जा रहा है ये सभी अवैध प्लेटफॉर्म बिना किसी वैध प्रिस्किप्शन के दवाएं विकय कर रहे हैं, जिससे स्वचिकित्सा, नशीली दवाओं का दुरुपयोग और रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) जैसी गंभीर समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। ऐसे सभी अवैध प्लेटफॉर्म मरीजों की सुरक्षा को नजरअंदाज करके केवल अपने मुनाफे पर ध्यान केंन्द्रित कर रहे है।

इस अधिसुचना का मूल उद्देश्य विशिष्ट परिस्थितयों में वैध लाइसेंस प्राप्त नजदीकी दवा विक्रेताओं के लिए दवाओं की डिलीवरी करना था न कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के द्वारा महत्वपूर्ण सुरक्षा उपायों को दरकिनार करना । ये सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अपनी सुविधा के लिए दवा वितरण के नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, जिसका आम जनता के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

एआईओसीडी की मांग है कि अब देश में महामारी का आपातकालीन चरण अब समाप्त हो चुका है और में सामान्य स्थिति लौट आई है, इसलिए यह अधिसूचना अब प्रासंगिक नही है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। दवाओं की बिकी और वितरण के लिए प्रिस्किप्शन और अन्य सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित् किया जाना चाहिए। देश में दवाओं की अवैध ऑनलाइन बिकी को तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए ताकि दवाओं की अनियमित बिकी को रोका जा सके । एआईओसीडी का मानना है कि जन स्वास्थ्य और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए सरकार का कदम जरूरी है।

अगर सरकार इस हेतु सकारात्मक कार्रवाई नही करती है तो एआईओसीडी अपने सभी 12.40 लाख सदस्यों के साथ अपनी दुकानें बंद कर देंगे और इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार जिम्मेदार होंगे।

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