रायपुर। छत्तीसगढ़ में नवरात्री का पर्व बड़े ही धूम धाम और आस्था के साथ चैत्र नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। साथ ही छत्तीसगढ़ में भगवती माता दुर्ग...
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नवरात्री का पर्व बड़े ही धूम धाम और आस्था के साथ चैत्र नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। साथ ही छत्तीसगढ़ में भगवती माता दुर्गा के अलग अलग रूपों में विराजमान कई शक्तिपीठ और सिद्धिपीठ स्थापित हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है और मां के प्रथम स्वरूप देवी शैलपुत्री की पूजा के साथ नौ दिनों का त्योहार शुरू होता है।
नवरात्रि के पहले दिन गाय पर सवार मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। लेकिन सबसे पहले कलश स्थापना पूजा होती है और देवी को भी प्रतिष्ठित करने के बाद ही उनके शैलपुत्री स्वरूप की आराधना की जाती है। कलश स्थापना के लिए पहला मुहूर्त सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक है। वहीं अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बज कर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 40 मिनट तक है।
मां शैलपुत्री की सवारी गाय है इसलिए उन्हें गाय के दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाया जाता है। पंचामृत के अलावा आप देवी शैलपुत्री को खीर या दूध से बनी बर्फी का भोग लगा सकते हैं। इसके अलावा आप घी से बने हलवे का भी प्रसाद चढ़ा सकते हैं। खास बात यह है कि गाय के दूध से बनी बर्फी का देवी को भोग लगाने के अलावा आप व्रत के दौरान भी खा सकते हैं।
नवरात्रि की पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्रों को धारण करें।इस दौरान पूजा के लिए सबसे पहले माता रानी की चौकी लगाएं और उसपर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं।
फिर वहां स्वास्तिक का चिह्न बनाएं।
अब रोली और अक्षत से टीका करें और फिर वहां माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
देवी माता के दरबार में धूप-दीपक जलाएं, और फूल माता अर्पित करें।
इसके बाद सभी सोलह श्रृंगार का सामान चढ़ाते जाएं।
फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
अंत में माता की आरती करते हुए गलतियों की माफी मांगे।
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