दुर्ग। दुर्ग जिले में होटल कैमबीन में भिन्न-भिन्न विद्युत उपभोक्ताओं की विद्युत बचत व अक्षय ऊर्जा के संबंध में जागरुकता कार्यशाला का आयोज...
दुर्ग। दुर्ग जिले में होटल कैमबीन में भिन्न-भिन्न विद्युत उपभोक्ताओं की विद्युत बचत व अक्षय ऊर्जा के संबंध में जागरुकता कार्यशाला का आयोजन सिटीजन कंज्यूमर एंड सिविक एक्शन ग्रुप (सीएजी) व अनमोल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई। जिसमें जिले के 35 किसान, छात्र, व्यापारी, मीडिया प्रतिनिधि, प्रोफेसर, घरेलू उपभोक्ता शामिल हुए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संयुक्त कलेक्टर हरवंश सिंह मिरी व डिप्टी कलेक्टर उत्तम कुमार शामिल हुए और कार्यक्रम की सराहना करने हुए विद्युत बचत के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया ।
कार्यक्रम की शुभारंभ करते हुए अनमोल फाउंडेशन के निदेशक संजय शर्मा ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यक्रम की जरूरत इसलिए हुए की हम अपने खनिज संसाधनों को कैसे बचाए, विद्युत कैसे बचा सकते है इसके बारे में एक्सपर्ट से जानना, अक्षय ऊर्जा के संबंध में शासन के योजना के बारे में विभाग के अधिकारियों से जानकारी उपलब्ध कराना। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएजी के भारत राम ने बताया कि सीएजी देश के 5 राज्यों में विभिन्न सहयोगी एनजीओ के साथ विद्युत कंज्यूमर के संबंध में कार्य कर रहे है। तमिलनाडु में 7 जिलों में उपभोक्ता सेल बना कर विद्युत संबंधित समस्याओं के समाधान की दिशा में काम कर रहे है। छत्तीसगढ़ में अनमोल फाउंडेशन के साथ काम कर रहे है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए क्रेडा जिले के प्रभारी सहायक यंत्री रविन्द्र देवांगन ने सौर ऊर्जा, गोबर गैस, सूर्य घर योजना, सोलर की आफग्रिड व आन ग्रिड पावर प्लांट, सोलर टैंक, सोलर पंप, कुसुम योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। सोलर स्टालेशन एक्सपर्ट दिनेश ने सोलर के स्टालेशन की प्रक्रियाओं व उससे होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से बताया तथा प्रतिभागियों के सवालों का जबाब भी दिया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भिलाई स्टील प्लांट के पूर्व जीएम वेंकट सुब्रमण्यम ने उद्योगों में किस तरह विद्युत खपत को करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं उनकी जानकारी विस्तार से दी गई। उन्होंने क्लाइमेट चेंज व पर्यावरणीय महत्व के बारे बताते हुए कहा कि बड़े उद्योगों में विद्युत खपत ज्यादा होता है वहां विद्युत की अल्टरनेट व्यवस्था करना असंभव लग रहा था लेकिन अब बड़े उद्योग भी इस दिशा में प्रयास कर असंभव को संभव बनाने में लगे है।
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