Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

//

Breaking :

latest
//

आत्मोल्लास चातुर्मास : भक्तिभाव हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया भगवान महावीर स्वामी का जन्म उत्सव

रायपुर। श्री संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में भगवान महावीर स्वामी का जन्म उत्सव भक्तिभाव से हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। श्री सिद्धि शिखर...

रायपुर। श्री संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में भगवान महावीर स्वामी का जन्म उत्सव भक्तिभाव से हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। श्री सिद्धि शिखर मंडपम में जारी चातुर्मासिक प्रवचन माला में तपस्वी मुनिश्री प्रियदर्शी विजय जी म.सा. के श्रीमुख से कल्पसूत्र का वांचन जारी है। इसके अंतर्गत प्रभु का जन्म वांचन हुआ। सर्वप्रथम माता त्रिशला के 14 सपनों का उल्लेख मुनिश्री ने किया। इस शुभ अवसर पर 14 सपनों की बोली लाभार्थी परिवार ने ली और इसके पश्चात पालना जी की बोली लाभार्थी परिवार ने ली और भक्ति भावपूर्वक प्रभु का जन्मोत्सव मनाया गया।

भगवान महावीर स्वामी के जन्म पूर्व उनकी माता त्रिशला ने 14 सपने देखे थे। उन सपनों में दिखी चीजों का जन्म वांचन के दौरान माता के सपनों के निमित्त प्रतीक चिन्ह का दर्शन करने का लाभ लाभार्थी परिवार ने लिया। 14 सपनों के बाद पालना जी झूलने का लाभ लाभार्थी परिवार ने लिया। पालना जी के लाभार्थी परिवार के निवास स्थान पर 14 प्रतीक चिन्ह को ले जाया गया और हर्षो उल्लास के साथ भक्तिभाव से भगवान का जन्मोत्सव मनाया गया। प्रभु की भक्ति व आराधना की गई।

मुनिश्री प्रियदर्शी विजय जी म.सा. ने गुरुवार को पर्युषण महापर्व के छठवें दिन प्रवचनमाला में बताया कि पांच दिन तक कल्पसूत्र के चार प्रवचन पूर्ण हुए। परमात्मा महावीर स्वामी भगवान का जन्म उत्सव मनाया गया। परमात्मा के जन्म के बाद देवों का कर्तव्य मुनिश्री ने बताया। 

मुनिश्री ने कहा कि परमात्मा का जन्म होने के बाद सबसे पहले 56 दीप कुमारिया जो 10 दिशाओं से आती हैं। परमात्मा और परमात्मा की माता का शुद्धिकरण कर उनको अच्छे वस्त्र आभूषण पहनाकर अपने आनंद को व्यक्त करती है। माता और बालक दोनों को आशीर्वाद देकर वहां से जाती है। इंद्र का आसान कम्पायमान होता है तो इंद्र को परमात्मा के जन्म का पता चलता है,तो वे सभी देवलोकों में सूचना पहुंचाने की आज्ञा देते हैं। समस्त वैमानिक देवलोक में सारे इंद्रों और देवों को पता चलता है कि परमात्मा का जन्म हो चुका है और परमात्मा का जन्म उत्सव मनाने सारे के सारे देव मेरु पर्वत पर पहुंचते हैं।

No comments