Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

//

Breaking :

latest
//

स्वयं पर विजय पाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा महावीर है : मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी

रायपुर। संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में जारी आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 में शनिवार से पर्युषण महापर्व की शुरुआत हो गई है। प्रथम दिन ओजस्व...

रायपुर। संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में जारी आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 में शनिवार से पर्युषण महापर्व की शुरुआत हो गई है। प्रथम दिन ओजस्वी प्रवचनकार मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. ने कहा कि परमात्मा महावीर ने अपनी अंतिम देशना के उत्तराध्यन सूत्र में कहा था कि युद्ध भूमि पर अकेले हजार हजार शत्रुओं को मार गिराने वाला उतना बड़ा वीर महावीर या शूरवीर नहीं है अपितु एक व्यक्ति जो अपने आपको जीत ले,अपने भीतर के शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर ले तो वह दुनिया का सबसे बड़ा वीर,महावीर, शूरवीर है। युद्ध करना ही है तो अपने आप से करो,अपने भीतर के शत्रुओं से लड़ो,अपनी लालसा और वासना से लड़ो,अपनी आकांक्षाओं और आसक्ति से लड़ो, इस दुनिया में युद्ध के मैदान पर हजारों को मार देने वाला इतना महान नहीं है,जितना महान स्वयं पर विजय पाने वाला है।

मुनिश्री ने कहा कि आज से कर्म के मर्म पर प्रहार करने वाला पर्युषण महापर्व शुरू हो गया है। पर्युषण महापर्व मतलब प्रदूषण मुक्ति का पर्व है। आज दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग क्लाइमेट चेंज जैसे अनेक शब्दों को प्रयुक्त किया जाता है। पूरी दुनिया आज प्रदूषण की चपेट में है लेकिन इस पर्व में आत्मा में लगे पांच प्रकार के प्रदूषण से हमें मुक्ति पाना है।  पर्युषण महापर्व के पांच कर्तव्य हैं। हमारी आत्मा अनंत काल से पांच प्रदूषण से घिरी हुई है। 

मुनिश्री ने कहा कि सबसे पहला प्रदूषण है कठोरता,कठोरता के प्रदूषण को दूर करने के लिए शास्त्रकार भगवंतों ने पहला कर्तव्य प्रवर्तन बताया है। अहिंसा का प्रवर्तन कर हमारी आत्मा पर छाया हुआ कठोरता का प्रदूषण दूर होगा। दूसरा प्रदूषण कृपणता अर्थात कंजूसपने का प्रदूषण है। इसे साधार्मिक बुद्धि के कर्तव्य से दूर किया जा सकता है। तीसरा है कटुता का प्रदूषण और इसको दूर करने के लिए क्षमापना का कर्तव्य है। चौथा है कायरता का प्रदूषण,इसे दूर करने के लिए अठ्ठम तप का कर्तव्य है। पांचवा है कृतज्ञता का प्रदूषण अर्थात उपकारों को भूल जाना। इस प्रदूषण को दूर करने के लिए चैत्य परिपाटी का कर्तव्य बताया गया है। एक-एक कर्तव्यों का सही ढंग से पालन किया जाए तो आत्मा पर छाए पांच प्रदूषणों को दूर किया जा सकता है। आत्मा इन प्रदूषणों से मुक्त हो सकती है।

पर्युषण महापर्व के शुभ अवसर पर प्रथम दिन लाभार्थी परिवार के घर से चतुर्विद संघ के परम सानिध्य में बाजे गाजे के साथ सभी तपस्वी सिद्धि शिखर मंडपम पहुंचे। यहां सर्वप्रथम तपस्वियों ने पूंजना अर्थात गुरु गुरु के चरणों का पूजन कर अपनी तपस्या निर्विघ्न संपन्न होने की कामना की। इसके बाद लाभार्थी परिवार द्वारा संघ के समक्ष सभी तपस्वियों के मस्तक में विजय तिलक किया गया। इसके बाद लाभार्थी परिवार द्वारा तपस्वियों के मस्तक और गाल में चंदन लेपन किया गया ताकि आगे की तपस्या ठंडकता के साथ सुख-सातापूर्वक संपन्न हो।

मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. ने कहा कि रायपुर में 115 तपस्वी सिद्धि शिखर पर अपना परचम लहराने के लिए आज आठवें अंतिम पायदान पर कदम रख चुके हैं। देखते ही देखते आठ दिनों में सिद्धि शिखर की सर्वोच्च चोटी पर पहुंच जाएंगे और सिद्धि शिखर पर अपना परचम लहराएंगे। जैसे साधना की शुरुआत शेर मिजाज से हुई है, ऐसे ही शेर का मिजाज हमेशा बनाए रखना। यह सिद्ध तप तो 8 दिनों में संपन्न हो जाएगा लेकिन जब बुढ़ापा आएगा और जब कुछ कर पाना मुश्किल होगा तब आपको याद आएगा एक साथ 8 पच्चखाण लिए थे। ये अनुमोदना के क्षण ही आने वाले जन्मों में आराधना के अनुबंध बनवाएंगे। अंत में सभी सिद्धि तप के तपस्वियों ने मुनिश्री के समक्ष 8 उपवास का पच्चखाण लिया। 8 सितंबर को आठवीं बारी का ब्यासना होगा। सभी तपस्वी इन 8 दिनों में केवल गर्म पानी ही ग्रहण करेंगे। 9 सितंबर को सामूहिक पारणा एवं बहुमान समारोह होगा। 10 सितंबर को सिद्धि शिखर विजय यात्रा निकाली जाएगी।


No comments