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महिला जनप्रतिनिधि स्वयं निर्णय लेने में सक्षम बने : डॉ. नायक

बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने जिला पंचायत सभाकक्ष में महिला उत्पीडन से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर ज...


बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने जिला पंचायत सभाकक्ष में महिला उत्पीडन से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर में 265वीं एवं जिला स्तर में 7वें नम्बर की सुनवाई हुई। आज की सुनवाई में जिला  बलौदाबाजार - भाटापारा की कुल 34 प्रकरण सुनवाई हेतु रखे गये थे। जन सुनवाई के दौरान डॉ नायक ने कहा कि महिलाएं पुरुषों के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर चल रही हैं। महिला जनप्रतिनिधि सक्षम बने और अपने विवेक से निर्णय लें।

सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका अपने बेटे के साथ उपस्थित हुई थी। अनावेदक क्र 03 पटवारी हल्का नं. 37 उपस्थित थी। आवेदिका ने बताया कि उसके पुश्तैनी जमीन ग्राम कसहीडीह मे कुल जमीन लगभग 28 एकड थी और 4 बेटे उसके हिस्सेदार थे  जिसमें आवेदिका के पिता भी एक हिस्सेदार थे। आवेदिका और उसका एक भाई कुल पुश्तैनी जमीन का 1/4 अर्थात 7 एकड़ जमीन में हकदार था। अनावेदक क्र 1 और 2 आवेदिका के बड़े पिता  के बेटे हैं और आवेदिका के गांव से 15 किमी की दूरी में उनका गांव है और वे अच्छे से जानते हैं कि आवेदिका और उसका भाई जिन्दा है फिर भी पुश्तैनी जमीन को धोखाधड़ी से आवेदिका और उसके भाई को मृतक बताकर तहसीलदार और पटवारी से मिलकर अपने नाम पर चढा लिया है। उपस्थित पटवारी को निर्देशित किया गया कि वह आगामी सुनवाई में आवेदिका के सम्मपूर्ण पुश्तैनी जमीन जो उसके दादा के नाम पर था, चारों बच्चे के नाम पर कब चढ़ाया गया और फिर सारी सम्पत्ति केवल अनावेदक 1 के दोनों बेटों के नाम पर कब और कैसे चढ़ाया गया है।सम्मपूर्ण जानकारी एवं समस्त दस्तावेज निकाल कर रायपुर महिला आयोग कार्यालय में उपस्थित होंगी। आगामी सुनवाई हेतु आवेदिका पक्ष एवं उपस्थित आवेदक क्र 3 को आर्डरशीट की प्रति निःशुल्क दिया गया ताकि उसके आधार पर अनावेदिका क्र 3 शासकीय कार्य की तरह जिम्मेदारी से महिला आयोग के इस आदेश का पालन करे। आगामी सुनवाई 03.09.2024 को होगा। दोनों शेष अनावेदक क्र 1 व 2 को आवश्यक उपस्थित सुनिश्चित कराने निर्देशित किया गया।

एक अन्य प्रकरण जिसमें अनावेदकगण अनुपस्थित थे,आवेदिका ने बताया कि उसका पति आर्मी में कार्यरत है।अनावेदक  द्वारा आवेदिका का 11 वर्षीय पुत्र को अपने साथ लेकर आवेदिका को मारपीट कर निकाल दिया गया है और 11 वर्षीय पुत्र को अपने साथ  रखा  है। ऐसी दशा में आवेदिका और उसके बेटे का नाम सर्विस बुक में दर्ज है या नहीं इसकी जानकारी लेना आवश्यक है।अनावेदक को कमांडेंट के माध्यम से उसकी आवश्यक उपस्थित कराने का आयोग द्वारा पत्र भेजा जायेगा।अन्य प्रकरण में  आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ शिकायत किया है कि आवेदिका को काम से निकाल दिया है। अनावेदक सीएमओ नगर पचायत सिमगा उपस्थित को उनके द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत किया गया। जिसके अनुसार आवेदिका जय इन्टर प्राईजेस प्लेसमेंट की कर्मचारी थी। आवेदिका के खिलाफ पार्षद और नगर पंचायत के लिखित शिकायत के आधार पर अनावेदक ने प्रेषित मेल एजेंसी को पत्र भेजा था जिसके आधार पर आवेदिका को पद से हटाया गया था अतः शिकायत में कोई सच्चाई नहीं दिखाई दे रही है। अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

अन्य प्रकरण में आवेदिका सरपंच है और उसने अपने गांव के 8 लोगों के खिलाफ शिकायत की थी। शिकायत से यह स्पष्ट हुआ है कि पति के दखलंदाजी ग्राम पंचायत के कार्यों में किया जाता है। कभी कम्पनियों का विरोध कराते है और कभी कम्पनी को एनओसी देते है। अनावेदकगणों ने यह बताया कि 01 वर्ष पूर्व आवेदिका और रामा मैटर स्पंज पावर कम्पनी को पक्षकार बनाया है और मामला उच्च न्यायालय में लबित है। ऐसी दशा में आवेदिका को समझाईश दिया गया है कि वह अपने पद की जिम्मेदारियों का निर्वाहन कर अपने विवेक से करें, अपने पति के इशारों पर न चले। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित। आवेदिका ने दोनों अनावेदकगण के खिलाफ विभागीय शिकायत किया  था। उस शिकायत की जांच के बाद दोनों आवेदकगणों को निलंबित करने की अनुशंसा किया गया था  और दिनांक 05.07.2024 को आवेदिका ने दोनों अनावेदकगणों के खिलाफ धारा 294, 506 की रिपोर्ट कराई गई है। अनावेदक क्र 1 ने विस्तार से दस्तावेजों के साथ अपना पक्ष रखा कि अपने सहकर्मी के साथ आवेदिका के साथ अवैध संबंध थे जिसकी जांच से बचने के लिए आवेदिका ने इन अनावेदकगणों के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई थी। आवेदिका का कहना है कि वह जांच निरस्त हो गया है। दोनों पक्षों सुनने से यह स्पष्ट है कि दोनों पक्षों के दस्तावेज देखने से यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों पक्षों के बीच कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन कानून के तहत आंतरिक परिवाद का गठन किया जाना था।

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