रायपुर। विवेकानंद नगर स्थित संभवनाथ जैन मंदिर में जारी आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचन माला में गुरुवार को रायपुर के कुलदीपक तपस्वी रत्...
रायपुर। विवेकानंद नगर स्थित संभवनाथ जैन मंदिर में जारी आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचन माला में गुरुवार को रायपुर के कुलदीपक तपस्वी रत्न मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा. ने तप और आराधना का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि जब श्रावक सामायिक करते हैं वह साधु के जैसे होते हैं,उनकी दिनचर्या भी साधु के जैसे होती है। आप जो भी कर रहे हैं उसमें बेहतर करिए तभी आपके अंदर विशेषज्ञता आएगी। जैसे आपका परमात्मा के साथ कनेक्शन अच्छा होना चाहिए,ठीक वैसे ही
मुनिश्री ने कहा कि जैसा कनेक्शन हम हमारे गुरुओं के साथ रखते हैं वैसे ही आपका भी कनेक्शन आपके गुरुओं के साथ होना चाहिए। आप जो आराधना करते हैं,तप करते हैं उसमें गुरू की आज्ञा का पूर्णतः पालन करें,उसमें विकल्प नहीं होना चाहिए। तप कभी अपनी सुविधा के अनुरूप नहीं होता है,आपने तप का नियम लिया तो उसका पालन गुरू के मार्गदर्शन में नियम से करते रहे। आप किसी भी चीज के लिए पुरुषार्थ करोगे तो उसमें सफलता जरूर मिलती है।
ओजस्वी प्रवचनकार मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. ने आज की प्रवचन माला में कहा कि सिद्धि तप की तपस्या कठिन है लेकिन अपने अंदर के शत्रुओं को पराजित करो। अपनी लोभ और लालसा,आसक्ति पर विजय पाओ। सिद्धि तप करने वालो को कई परेशानियां आएगी लेकिन उस पर विजय पाकर पूर्ण करना वीरों का काम है। आपने जो सिद्धि तप का निर्णय लिया है,वह व्यर्थ नहीं जाएगा। मजबूती के साथ आगे बढ़ो। 40 दिनों तक दृढ़ निश्चय के साथ पालन कर तप को सफलता की ओर लेकर जाना है। कैसी भी परिस्थिति हो, कैसी भी परेशानी हो यदि आपने ठान लिया तो सफलता जरूर मिलती है।
44 दिन के सिद्धि तप का पारणा 8 सितंबर को होगा। यह कठिन तपस्या है। इसमें बढ़ते क्रम में एक उपवास फिर बयासना,फिर दो उपवास फिर बयासना, ऐसा 8 उपवास तक क्रम बढ़ता है। गुरुवार से तीसरा उपवास का क्रम शुरू हो गया है, रविवार को श्रावक-श्राविका पारणा करेंगे। 120 श्रावक श्राविकाओं ने सिद्धि तप का बयासना कर आज तेला का पच्चखाण लिया। पूरा तप मुनिश्री की निगरानी में निर्विघ्न संपन्न हो रहा है। मुनिश्री स्वयं खड़े रहकर तपस्वियों का पारणा करवाते हैं।
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