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मोक्ष प्राप्त करना है तो आपको पैसा, परिवार, गाड़ी, बंगला सबका मोह त्यागना होगा: श्री श्रमणतिलक विजय जी

रायपुर । न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर के मेघ-सीता भवन में चल रहे आत्मकल्याण वर्षावास 2024 की प्रवचन श्रृंखला में शनिवार को परम ...

रायपुर । न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर के मेघ-सीता भवन में चल रहे आत्मकल्याण वर्षावास 2024 की प्रवचन श्रृंखला में शनिवार को परम पूज्य श्रमणतिलक विजय जी ने मोक्ष की प्राप्ति के विषय में बताते हुए कहा कि आपको मोक्ष चाहिए तो आपको पैसा, परिवार, बंगला, गाड़ी जैसे सारी सांसारिक वस्तुएं छोड़नी होगी। क्योंकि मोक्ष के रास्ते में यह सारी चीजें दूर-दूर तक नहीं आती है। यह मोक्ष भी आपको शत-प्रतिशत पूरी तरह से इस भव में नहीं मिलेगा, पूर्णता मोक्ष प्राप्त करने के लिए आपको 6 से 7 भव लग सकते है।

मुनिश्री कहते हैं कि अब आप बोलोगे कि हमें एक साथ 100 प्रतिशत मोक्ष चाहिए तो ऐसा संभव नहीं है। आपके व्यापार में किसी पार्टी से आपको पैसे लेने हो और वहां एक साथ पैसे देने में असमर्थ हो कर कहता है कि अभी आप 25 परसेंट ले लीजिए फिर 25 ले लीजिएगा और फिर बाकी के पैसे भी इसी इंस्टॉलमेंट में दी जाएगी तो क्या आप मना करते हैं। आप मना नहीं करते क्योंकि व्यापार में तो आप ऐसा बोल नहीं सकते कि पूरे पैसे एक साथ देना नहीं तो मत देना। ऐसा बोलने से हो सकता है आपको नुकसान हो जाए, सामने वाली पार्टी लॉस में आ जाए और आपको जो 25 प्रतिशत पैसा मिल रहा था वह भी डूब जाए तो आप किस्तों में भी पैसे लेने को तैयार हो जाते हैं। लेकिन मोक्ष आपको 100 परसेंट चाहिए जो कि इस भव में संभव नहीं है और जिसे एक बार में 100 परसेंट मोक्ष चाहिए वह दरअसल सच्चे मन से मोक्ष को प्राप्त करना नहीं चाहते हैं, क्योंकि यह संभव ही नहीं है।

मुनिश्री ने कहा कि लोगों को आज व्यापार इतना प्यार हो चुका है कि उनके पास धर्म के लिए समय नहीं है। अब वह खुद तो नहीं आते और बच्चों को भी चातुर्मासिक गतिविधियों में भाग नहीं लेने देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे डरते हैं कि बच्चा साधु संतों की बात में ना फंस जाए। बच्चा अगर चातुर्मास में जाएगा तो घर आकर पिता को गलत करते देखेगा, रात्रि भोजन करके आप पाप कर रहे हो, नरक में जाओगे कहेगा, तो आप उनकी ऐसी बातें बर्दाश्त नहीं करोगी इसीलिए उसे पहले ही जाने से रोक दिया। वहीं, जब आपका बेटा अमेरिका जाएगा तो आप 10 लोगों को बताओगे कि मेरा बेटा अमेरिका में रहता है, वहां जॉब करता है। भले ही वहां जाकर आपका बेटा पैसा कमाने के लिए चाहे होटल में काम करें या सफाई का काम करें तो भी आपको चलेगा क्योंकि वह आपको डॉलर में पैसा भेज रहा है और नाम के लिए वह अमेरिका में है, यह आपके लिए गर्व की बात होगी। आज बच्चों के लिए उनकी लाइफ स्टाइल अपने तय कर दी है। उनका डेस्टिनेशन अपने तय कर दिया है और आपने अपना कर्तव्य यह तय करके रखा है कि उसे पढ़ना लिखना है और लाखों-करोड़ों का पैकेज दिलाना है, बस इससे आगे आप नहीं सोचते हैं।

मुनिश्री कहते है कि आपको बच्चों को संस्कार देना होगा, इसके लिए आपको अपने व्यवहार और जीवन शैली को भी बदलना होगा। पहले बच्चों को 6 साल तक स्कूल नहीं भेजा जाता था क्योंकि यह उनके खेलने-कूदने और शारीरिक बढ़त का समय होता था, उसके बाद उन्हें शिक्षा ग्रहण के लिए गुरुकुल भेजा जाता था। आज तो 6 महीने के बच्चों को भी पालनाघर में छोड़कर माता-पिता अपने काम पर निकल जाते हैं, कुछ दिन बाद प्ले स्कूल में डाल कर अपना पीछा छुड़ा लेते हैं और फिर स्कूल चालू हो जाता है। स्कूल के बाद बच्चों को बाहर पढ़ने भेज देते हैं और फिर बच्चा अपने मन की करने लगता है। पढ़ाई करके जब उसकी नौकरी बाहर लग जाती है तो बच्चा आपको छोड़कर नौकरी करने चला जाता है। अब पहले तो बच्चे को आपने ही छोड़ दिया और बाद में बच्चों ने आपको छोड़ दिया तो इस जीवन का अर्थ क्या निकला यह विचार करने योग्य विषय है।

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