नई दिल्ली। हाथरस भगदड़ मामले की जांच में पुलिस बाबा नारायण साकार हरि के लिए काम करने वाले लोगों को अरेस्ट कर रही है. इसी में एक गिरफ्तारी मै...
नई दिल्ली। हाथरस भगदड़ मामले की जांच में पुलिस बाबा नारायण साकार हरि के लिए काम करने वाले लोगों को अरेस्ट कर रही है. इसी में एक गिरफ्तारी मैनपुरी से भी की गई. यहां पुलिस ने रामलड़ैते यादव को गिरफ्तार किया था. बाद में उनके बेटे अंकित यादव ने इसकी जानकारी एक चिट्ठी में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को दी थी. उन्होंने दावा किया कि यूपी प्रशासन ऐसी गिरफ्तारी करके अपनी नाकामी छुपाने की कोशिश कर रही है.
अखिलेश यादव ने कहा, "उत्तर प्रदेश शासन-प्रशासन ‘हाथरस हादसे’ में अपनी नाकामी छुपाने के लिए, छोटी-मोटी गिरफ़्तारियां दिखाकर सैकड़ों लोगों की मौत से अपनी जिम्मेदारी का पल्ला झाड़ना चाहता है. अगर ऐसा हुआ तो इसका मतलब ये निकलेगा कि इस तरह के आयोजन में हुई शासनिक-प्रशासनिक विफलता से किसी ने कोई सबक नहीं लिया और ऐसी दुर्घटनाएं भविष्य में भी दोहरायी जाती रहेंगी.
हाथरस हादसे में गिरफ्तारी 'खुद एक षड्यंत्र'
अखिलाश यादव ने कहा, "शासन-प्रशासन किसी खास मंशा से व्यर्थ में ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर रहा है, जो मूल आयोजन स्थल से दूर थे और गिरफ्तारी के बाद उनको ही दोषी ठहराये जाने की तैयारी कर रहा है. ये गिरफ़्तारियां स्वयं में एक षड्यंत्र हैं. इन गिरफ़्तारियों की तुरंत न्यायिक जांच हो, जिससे उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार का खेल जनता के सामने लाया जा सके."
अखिलेश यादव ने एक एक्स पोस्ट में कहा, "अगर बीजेपी सरकार ये कहती है कि ऐसे आयोजन से उसका कोई लेना-देना नहीं था, तो फिर बीजेपी सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं. इस कार्यक्रम में आये अधिकांश गरीब लोग दुखी, शोषित, पीड़ित, वंचित, दलित थे, इस आधार पर इसका मतलब तो ये भी निकलता है कि ऐसे लोगों से बीजेपी सरकार का कोई सरोकार नहीं है, जबकि सबसे पहले सरकार का ध्यान ऐसे लोगों की तरफ ही जाना चाहिए."
सपा अध्यक्ष को लिखी चिट्ठी में अंकित का दावा
अखिलेश यादव को लिखी चिट्ठी में अंकित यादव ने कहा था, "मेरे पिता जी घटना वाले दिन घटना स्थल से 2 किलोमीटर दूर थे. कार्यक्रम खत्म हुआ तो वह रोडवेज बस में बैठकर घर आ गए. मैंने जब मोबाइल में हाथरस की घटना देखी तो पिता को बताया की हाथरस की घटना हो गई, तब मेरे पिता को पता चला."
अंकित ने दावा किया था, "मेरे पिता साधरण श्रोता के रूप में जाते थे. कुछ समय पहले उन्हें गुलाबी ड्रेस दे दी गई थी. गुलाबी ड्रेस उन्हें दी जाती हैं जो साफ सफाई और व्यवस्था का काम देखते हैं. मेरे पिता को 2 किलोमीटर दूर वाहन खड़ा कराने की जिम्मेदारी दी गई थी. मेरे पिता जी को गलत तरीके से फंसाया गया है. उनका इस घटना से कोई वास्ता नहीं हैं."
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