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निगम चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से, पार्षद महापौर के लिए दो वोट देने होंगे

  रायपुर। प्रदेश में पांच वर्ष बाद प्रत्यक्ष प्रणाली से होने महापौर,पालिकाध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव। नगरीय निकाय के ये चुनाव आने...

 

रायपुर। प्रदेश में पांच वर्ष बाद प्रत्यक्ष प्रणाली से होने महापौर,पालिकाध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव। नगरीय निकाय के ये चुनाव आने वाले  दिसंबर में होने हैं। 15 वर्ष के भाजपा कार्यकाल में महापौर को मतदाता सीधे चुनते रहे। 2018 में कांग्रेस की बघेल सरकार ने एक्ट में संशोधन सामान्य सभा में बहुमत दल के नेता को चुनने की प्रकिया अपनाई। इससे बहुमत हासिल करने रायपुर से लेकर कई निगम पालिका पंचायतों में पार्षदों की खरीद फरोख्त के साथ एमआईसी सदस्य बनाए गए।

भाजपा के दिसंबर में सत्तासीन होने के बाद से ही यही चर्चा थी कि पुन: प्रत्यक्ष प्रणाली अपनाई जाएगी। और आज इस पर विधायक दल की बैठक में सर्वानुमति बनी। बैठक में  सीएम विष्णु साय, डिप्टी सीएम नग़रीय प्रशासन अरूण साव भी थे। 54 में से अधिकांश विधायकों ने पार्षद के साथ महापौर और अध्यक्षों के चुनाव आम मतदाताओं के द्वारा चुने जाने की वकालत की। इस पर आम सहमति और प्रस्ताव बनाने विधायकों की समिति बनेगी। जो जल्द ही अपनी सिफारिश देगी। ताकि 22 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में विधेयक पारित किया जा सके। यानी निकाय चुनाव में वोटर एक वोट पार्क और एक महापौर चुनने डालेंगे।

इधर आज अरूण साव ने बताया कि चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के फैसले को लेकर आमजनों से भी चर्चा करेंगे।

विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद नवंबर, दिसंबर में होने वाले निकाय चुनाव में भी ईवीएम विवाद पैदा करेगा। बघेल सरकार ने पिछले चुनाव ईवीएम से ही कराए थे। जिसमें कांग्रेस को बड़ा बहुमत मिला था । अब चूंकि कांग्रेस विपक्ष में है ते वह इसका विरोध कर मतपत्र से कराने दबाव बनाए की। लेकिन पहले 15 वर्षों की तरह भाजपा सरकार ईवीएम से कराएगी?। निकाय चुनाव के लिए आम चुनाव के ईवीएम इस्तेमाल नहीं किए जाते। इनके ईवीएम अलग ही होते हैं। जो इस समय राज्य निर्वाचन आयुक्त के अधीन, जिलों में उपलब्ध हैं।


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