राजनांदगांव। राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में एक और चिकित्सक ने अपने सेवा से इस्तीफा दे दिया है। पिछले दिनों ईएनटी विभाग के एचओडी डॉ. अनूप गुप...
राजनांदगांव। राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में एक और चिकित्सक ने अपने सेवा से इस्तीफा दे दिया है। पिछले दिनों ईएनटी विभाग के एचओडी डॉ. अनूप गुप्ता ने भी पद छोड़ दिया था। लगातार इस्तीफे के दौर से कॉलेज की मान्यता पर खतरा मंडरा रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक मेडिकल कॉलेज के माईक्रो बायोलॉजी एचओडी डॉ. अंबादे ने त्याग पत्र दे दिया। बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज में कम वेतन और वर्कलोड के कारण चिकित्सकों ने निजी अस्पतालों और अन्य बड़े चिकित्सकीय संस्थानों की ओर रूख किया है। जिससे मेडिकल कॉलेज में इस्तीफे की झड़ी लग गई है। एक जानकारी के मुताबिक अब तक 18 चिकित्सकों ने इस्तीफा दिया है। नाक, कान, गला समेत कैंसर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने भी नौकरी छोड़ दी। मेडिकल कॉलेज की सर्जन रही वसुध चतुर्वेदी ने भी नौकरी छोडक़र दूसरे संस्थान की ओर कदम बढ़ाए हैं। मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था अब चिकित्सकीय प्रबंधन के लिहाज से बिगड़ती जा रही है। बार-बार अव्यवस्था को लेकर ध्यान लाया जा रहा है, लेकिन राज्य सरकार और प्रशासन की इस दिशा में ध्यान नहीं है। बताया जा रहा है कि चिकित्सकों के त्यागपत्र देने की खबर से मरीजों को तगड़ा झटका लगा है। निजी कारण बताकर चिकित्सक आसानी से नौकरी छोड़ रहे हैं। वहीं लंबे समय से अनुबंध के आधार पर कार्य कर रहे चिकित्सकों को नियमित भीनहीं किया जा रहा है। सालभर में डेढ़ दर्जन से ज्यादा चिकित्सकों ने इस्तीफा दिया है। मेडिकल कॉलेज में उच्च इलाज अब आसान नहीं रह गया है।
एक जानकारी के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में 170 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं। इसके विरूद्ध 90 चिकित्सक ही कार्य कर रहे हैं। ऐसे में चिकित्सकों पर कार्य का बोझ बढऩा स्वभाविक है। चिकित्सकों के मन में कम तनख्वाह भी घर कर गई है। निजी मेडिकल संस्थानों की ओर से उन्हें इंप्रेसिव पैकेज के ऑफर मिल रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों के साथ-साथ नर्सिंग स्टॉफ के पद भी कम हैं। 182 पदों के विरूद्ध सिर्फ 72 नर्स सेवा दें रही हैं। कुल मिलाकर चिकित्सकों को दोगुनी क्षमता के साथ काम करना पड़ रहा है। समय-बे-समय कार्य करने के कारण चिकित्सक मानसिक दबाव से गुजर रहे हैं। ऐसे में अच्छे प्रस्ताव आने पर चिकित्सक ने नौकरी छोडक़र जाने लगे हैं।
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