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हर ब्लॉक के 10-10 गांवों से 8 हजार सैंपल लेकर करेंगे मिट्टी की जांच, फिर देंगे स्वाइल हेल्थ कार्ड

बेमेतरा। जिले के प्रत्येक ब्लॉक में 2-2 हजार मिट्टी के सैंपलों की जांच करने का लक्ष्य मिला है। स्वाइल टेस्ट करने के बाद किसानों को मिट्टी की...


बेमेतरा। जिले के प्रत्येक ब्लॉक में 2-2 हजार मिट्टी के सैंपलों की जांच करने का लक्ष्य मिला है। स्वाइल टेस्ट करने के बाद किसानों को मिट्टी की हेल्थ रिपोर्ट भी दी जाएगी। इसके अनुसार किसान फसल लगा सकेंगे। साथ ही उवर्रक का भी निश्चित मात्रा में छिडक़ाव कर सकेंगे। बता दें कि जिले में बीते सत्र में चार हजार नमूनों की जांच की गई थी।

जिले में सत्र के दौरान नेशनल स्वाइल टेस्ट योजना के तहत बेमेतरा, साजा, बेरला व नवागढ़ ब्लॉक में दो-दो हजार सैंपलों की जांच की जाएगी। हालांकि योजना के लिए लक्ष्य मिला है पर फंड नहीं। कास्तकारी जिले में मिट्टी की गुणवत्ता की जांच महत्वपूर्ण है, जिसे देखते हुए पूर्व सत्र में जिले को पायलेट प्रोजेक्ट में शामिल करने के बाद 4000 सैंपलों की जांच का लक्ष्य तय कर 5 लाख 50 हजार का फंड जारी किया गया था। योजना का लाभ किसानों को देते हुए प्रत्येक ब्लॉक में 1-1 हजार का लक्ष्य तय कर समय पर सैंपलों की जांच की गई। हालांकि रिपोर्ट में जिले में मिट्टी की गुणवत्ता सामान्य होना पाया गया है पर आने वाले समय में खाद का उपयोग बढऩे पर असंतुलन बढऩे के भी आसार हैं।

यह है स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना

केंद्र सरकार की इस स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को जमीन से जुड़ी गुणवत्ता की टेस्टिंग कर मृदा हेल्थ कार्ड प्रदान करना है। इसके लिए खेतों की मिट्टी जांचने के साथ ही किसानों को मिट्टी की रिपोर्ट के आधार पर फसल लगाने के लिए जागरूक किया जाना है। इससे किसानों को मिटटी की उर्वरा क्षमता के आधार पर फसल लगाने से अधिक लाभ मिलेगा और निर्धारित मात्रा में खाद के उपयोग से मिट्टी का संतुलन सही बनेगा।

एक ब्लॉक में 10-10 गांव का चयन होगा

स्वाइल टेस्ट के लिए जिले में 8 हजार सैंपलों की जांच प्रत्येक ब्लॉक में की जाएगी। इसके लिए ब्लॉक में गांवों को विभाजित कर लक्ष्य तय किया गया है, जिसके अनुसार एक ब्लॉक में 2000 सैंपल लिए जाएंगे। ब्लॉक स्तर पर 10 गांवों का चयन होगा। प्रत्येक गांव से 200-200 सैंपल जुटाकर जांच कर किसानो को कार्ड जारी किया जाएगा।

जरूरी है मिट्टी का हेल्थ कार्ड

चार साल में एक बार ही जारी किया गया फंड जिले में एक लैब का संचालन हो रहा है। जहां पर बीते चार साल में से तीन साल तक संचालन बगैर किसी उद्देश्य के किया गया। विभाग लैब के साथ-साथ पूरे स्टाफ का खर्च बगैर काम लिए उठाते रहा। भारी भरकम लाखों के फंड से प्रयोगशाला संचालित की जा रही है। चार साल के दौरान योजना के स्वरूप को बार-बार बदला गया है, जिसमें पहले सभी ब्लॉक के एक-एक गांव के चिन्हित रकबे का सैंपल लेकर जांच कराने के लिए पायलेट प्रोजेक्ट तय किया गया था, जिसमें बेमेतरा के बटार, बेरला के करामाल, साजा के कोहकाबोड व नवागढ़ के धोबध_ी गांव को शामिल किया गया। बीते सत्र में आधे कार्यकाल में फंड आने पर काम प्रारंभ हो पाया था। इस बार लक्ष्य मिला है पर अब तक फंड नहीं मिला है। अब हालत ये है कि पैसा मिलने के बाद ही लक्ष्य पाने की दिशा में काम हो सकेगा।

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