नई दिल्ली। पिछले महीने बेंगलुरु कैफे में हुए विस्फोट मामले में दो संदिग्धों की गिरफ्तारी के एक हफ्ते बाद, भारतीय एजेंसियां पकड़ में न आने ...
नई दिल्ली। पिछले महीने बेंगलुरु कैफे में हुए विस्फोट मामले में दो संदिग्धों की गिरफ्तारी के एक हफ्ते बाद, भारतीय एजेंसियां पकड़ में न आने वाले इनके ऑनलाइन हैंडलर की पहचान करने की कोशिश कर रही हैं. जांच से जुड़े अफसरों ने बताया कि उस हैंडलर का कोडनेम ‘कर्नल’ है. अधिकारियों को संदेह है कि ‘कर्नल’ 2019-20 में आईएस अल-हिंद मॉड्यूल के साथ जुडऩे के बाद से कथित मुख्य प्लानर अब्दुल मथीन ताहा और कथित हमलावर मुसाविर हुसैन शाज़िब के संपर्क में था. ऐसा माना जा रहा है कि ‘कर्नल’ दक्षिण भारत में कई युवाओं को क्रिप्टो-वॉलेट के माध्यम से रुपये भेजता है. इसके अलावा वह धार्मिक संरचनाओं, हिंदू नेताओं और प्रमुख स्थानों पर हमले करने के लिए युवाओं को लगातार उकसाता भी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के एक अधिकारी और इस केस की जांच टीम के सदस्य एक अफसर ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि हमने नवंबर 2022 में मंगलुरु ऑटो रिक्शा विस्फोट के बाद कर्नल नाम के हैंडलर के बारे में सुना था. वह मिडिल ईस्ट में कहीं से काम करता है. भारतीय जांच एजेंसियां इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह के छोटे मॉड्यूल बनाकर आतंकी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई के साथ ‘कर्नल’ के सहयोग से इनकार नहीं कर रही हैं.
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