दंतेवाड़ा, 20 फरवरी 2024 | पशुपालन व्यवसाय में दुग्ध एवं खाद निर्माण के लिए पशुओं हेतु चारे की व्यवस्था, टीकाकरण सहित अन्य देखभाल जितना ...
दंतेवाड़ा, 20 फरवरी 2024 | पशुपालन व्यवसाय में दुग्ध एवं खाद निर्माण के लिए पशुओं हेतु चारे की व्यवस्था, टीकाकरण सहित अन्य देखभाल जितना जरूरी है उतना ही आवश्यक है पशुओं के लिए उत्तम रहवास की व्यवस्था तात्पर्य है कि पशुधन प्रबंधन के तहत पशुओं के रहने के स्थान का भी ध्यान रखा जाना पशुपालकों के लिए अनिवार्य होता है। जिसमें रोजाना साफ -सफाई, पशु संख्या अनुरूप पर्याप्त जगह और खुला हवादार होना, पशु अपशिष्ट की निकासी और धूप वर्षा से बचाव के समुचित प्रबंधन होना चाहिए। आमतौर पर स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के रहने के स्थान जिसे अमुमन स्थानीय बोली में ’’कोठा’’ कहा जाता है। पूराने परिपाटी से ही बनाये जाते रहें है जहां न तो पर्याप्त जगह होती है और न ही उचित ढंग से साफ-सफाई का प्रबंध होता है। स्पष्ट है ऐसे रख रखाव से पशुधन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है साथ ही उनमें पशु जनित रोग पनपने की संभावना भी बढ़ जाती है और दुग्ध उत्पादन क्षमता भी कम होने लगती है। इस क्रम में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बनाये जा रहे गाय शेड निर्माण से पशुपालकों को गौवंशो के रखरखाव में सुविधा मिली है।
ब्लॉक कुआकोण्डा ग्राम हल्बारास के निवासी पशुपालक सुखराम को भी मनरेगा अन्तर्गत पशुपालन को आय के साधन के रूप में विकसित करने हेतु गाय शेड निर्माण हेतु 1 लाख 28 हजार की राशि वर्ष 2021-22 में प्रदाय की गई। इस संबंध में सुखराम ने बताया कि वह ग्रामीण परिवेश में रहकर खेती-बाड़ी के माध्यम से अपनी आजीविका चलाता है, परन्तु आमदनी अच्छी नहीं होने के कारण जीवन की मूलभूत जरूरतें ही मुश्किल से पूरी हो पाती थी। आय का संचय तथा बचत का तो प्रश्न ही नहीं उठता था। हां कुछ था तो उसके पास गौवंश पर्याप्त संख्या में थे, परन्तु उनके लिए उचित रहवास और रखरखाव की व्यवस्था करना भी एक बड़ी समस्या थी।
ऐसी स्थिति में सुखराम को ग्राम पंचायत में होने वाले ग्राम सभा में इस बात की जानकारी मिली कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की महत्वपूर्ण योजना मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से हितग्राहियों को गाय शेड निर्माण कार्य द्वारा लाभान्वित किया जाता है। इसकी जानकारी होते ही उसने इस योजना का लाभ लेने की ठानी और ग्राम सभा से गाय गोठान निर्माण हेतु प्रस्ताव ग्राम पंचायत से पारित करने साथ -साथ कार्य हेतु निर्माण क्षेत्र का नक्शा खसरा की जानकारी पंचायत के माध्यम से जनपद पंचायत कुआकोण्डा के मनरेगा शाखा को उपलब्ध करवाया। इस संबंध में तकनीकी सहायक द्वारा कार्यक्षेत्र का निरीक्षण कर तकनीकी प्राक्कलन तैयार किया गया एवं कार्य को तकनीकी स्वीकृति अनुविभागीय अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवाए के द्वारा प्रदान किये जाने उपरांत कुछ ही दिनों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दंतेवाड़ा के द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई जिसकी राशि 1.28 (एक लाख अठ्ठाईस हजार रूपये) थी।
कार्य की प्रशासकीय उपरांत कार्यदेश प्राप्त होते ही ग्राम पंचायत सचिव, सरपंच तथा मनरेगा के अधिकारी एवं तकनीकी सहायक के प्रयास से शीघ्रता से गाय-शेड निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया जिसकी लागत राशि 1.05 (एक लाख पांच हजार रूपये) रही। पशु शेड निर्माण के उपरांत सुखराम की एक बड़ी समस्या दूर हुई और उसने अपनी गायों को गाय शेड में रखना शुरू किया सबसे बड़ी सुविधा यह हुई कि अब उसे गायों के साथ इधर-उधर भटकने की आवश्यकता नहीं होती साथ ही गायों के एक स्थान पर रहने से उनके गोबर से खाद भी बनाया रहा है। इसके अलावा, बारिश, धूप तथा अन्य जीव एवं चोरी तथा पशुओं को अन्य माध्यम से होने वाले नुकसान से भी बचाव अब संभव है।
सुखराम के समान ही अन्य पशुपालकों को भी गाय शेड निर्माण से गोवंशों के रखरखाव में सुविधा मिली है और पशुधन के व्यवस्थित रहने से पशुपालको के आय के श्रोत बढ़े है। स्वयं सुखराम बताते है कि इससे उनके गोवंशों के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई है और गोबर खाद का उपयोग स्वयं की खेती में करने से उसे लाभ हुआ है। वर्तमान में उनके पास मौजूद गौवंशों का दुग्ध बेचकर उन्हें महीने में 5 हजार से 6 हजार रूपये की आमदनी होती है। उनका यह भी कहना है कि अन्य लोगों को भी इसी प्रकार शासकीय योजनाओं को लाभ लेना चाहिए।
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