गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में पदस्थ सहायक प्राध्यापकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने प्राध्यापक व वरिष्ठ प्राध्यापक की...
गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में पदस्थ सहायक प्राध्यापकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने प्राध्यापक व वरिष्ठ प्राध्यापक की पदोन्नति प्रक्रिया को हाई कोर्ट के आदेश से बाधित रखा है। याचिका की अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह की मोहलत दी है। हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
एसके. लांझियाना, डा केपी. नामदेव, डा नीली रोज बेक सह प्राध्यापक और डा अल्पना राम एवं डा. सन्मति कुमार जैन ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी एवं घनश्याम कश्यप के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की है। दायर याचिका में कहा है कि वे सभी प्राध्यापक के पद पर गुरु घासीदास केंद्रीय विश्ववविद्यालय बिलासपुर में कार्यरत हैं।
रजिस्ट्रार (कार्यवाहक) गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय ने 12 जनवरी 2023 के तहत को नौ हजार एवं 10 हजार ग्रेड पे के एजीपी का लाभ आठ दिसंबर 2022 साक्षात्कार के तिथि से दिया गया। याचिका के अनुसार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवं अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के विनियमन के अनुसार सहायक प्राध्यापक जिन्होंने पांच साल की सेवा पूरी कर ली है, वे सात हजार ग्रेड पे के एजीपी के लिए पांच साल पूर्ण करने के तिथि से पात्र होंगे। सात हजार ग्रेड पे पर पांच वर्ष पूर्ण करने पर वह आठ हजार ग्रेड पे के एजीपी के लिए पांच साल पूर्ण करने के तिथि से पात्र होंगे।
आठ हजार ग्रेड पे पर तीन वर्ष पूर्ण करने पर नौ ग्रेड पे के एजीपी के लिए तीन वर्ष पूर्ण करने के तिथि से पात्र होंगे। यह मापदंड पूरी करने पर सह प्राध्यापक पद के लिए नामित किया जाएगा। याचिका के अनुसार प्राध्यापक, और सह प्राध्यापक के एजीपी में तीन साल की सेवा पूरी करने पर 10 हजार ग्रेड पे के एजीपी में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त और नामित होने के पात्र होंगे।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि रजिस्ट्रार गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय ने उपरोक्त ग्रेड पे का लाभ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवं अखिल भारतीय तकनिकी शिक्षा परिषद् के विनियमन के विपरीत दिया गया है। याचिका के अनुसार जिस ग्रेड पे के लिए वर्ष 2017 में पात्र थे उसका लाभ उन्हें पांच साल बाद वर्ष 2022 से दिया गया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि उनकी नियुक्ति के बाद सहायक प्राध्यापक के पद पर
डा. हरीश रजक, डा. रविशंकर पांडे और डा सुनील जैन की नियुक्ति की गई है। इनको नियुक्ति तिथि से नौ हजार ग्रेड पे का एजीपी का लाभ दिया है। उनसे कनिष्ठ सहायक प्राध्यापकों को तीन साल की सेवा के बाद ग्रे पे का लाभ दिया गया है जबिक उनको आठ साल की सेवा पूरी करने के बाद लाभ दिया गया है जो मनमाना और द्वेषपूर्ण कार्रवाई है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने प्राध्यापक व वरिष्ठ प्राध्यापक की पदोन्नति प्रक्रिया को हाई कोर्ट के आदेश से बाधित रखा है। याचिका की अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह की मोहलत दी है। हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
No comments