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हल्द्वानी में रेलवे की जमीन के अतिक्रमण पर नहीं चलेगा बुलडोजर, SC ने HC के आदेश पर लगाई रोक

  उत्तराखंड के हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के लिए की जा रही कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड ह...

 


उत्तराखंड के हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के लिए की जा रही कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. 20 दिसंबर को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करके बनाए गए घरों को गिराने के आदेश दिए थे. जिसके खिलाफ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में रुख किया था.


जस्टिस सजंय किशन कौल और जस्टिस ए एस ओक की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा, कोर्ट ने कहा कि इस मामले में इतनी जल्दी सुनवाई नहीं कर सकते. जल्दबाजी में फैसला लेना गलत होगा. कोर्ट ने राज्य सरकार और रेलवे को नोटिस जारी किया है. साथ ही कोर्ट ने पुनर्वास के लिए व्यवस्था करने की बात भी कही है.


कोर्ट ने कहा कि आपको इस समस्या का व्यवहारिक हल देखना होगा. जमीन पर दावे के विभिन्न पहलू हैं. 50 हजार लोगों को एक रात में नहीं हटाया जा सकता. इसके साथ ही कोर्ट ने रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया. इस मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी.


सीएम धामी बोले- कोर्ट के निर्देश का पालन करेंगे


इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करेंगे. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऊधम सिंह नगर में कहा कि वो रेलवे की भूमि है और रेल विभाग का हाई कोर्ट और उच्च न्यायालय में मुकदमा चल रहा था. हमने पहले ही कहा है कि जो भी न्यायालय का आदेश होगा हम उसके अनुरूप आगे कार्रवाई करेंगे.


सुनवाई की शुरुआत में याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि जिस जमीन को सरकार अपनी बताती रही है, वहां स्थानीय लोग आजादी से पहले से रहते आ रहे हैं. निगम के रिकॉर्ड में उनके नाम दर्ज हैं. 



50 साल से रह रहे लोगों के बारे में सोचना चाहिए- कोर्ट


कोर्ट के पूछने पर ASG ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि सीमांकन करने के बाद ही इसे अवैध कब्जा करार दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि इतने समय से लोग रह रहे हैं तो उनके पुर्नवास के इतजाम के बारे में भी सोचा जाना चाहिए. 50 साल से ज्यादा समय से लोग रहे हैं. उनके पुनर्वास की व्यवस्था के बारे में विचार होना चाहिए. इस पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्त्ता पुनर्वास की मांग ही नहीं कर रहे, वो जमीन पर मालिकाना हक का दावा कर रहे हैं.


मानवीय पहलू से भी देखें- कोर्ट


जस्टिस कौल ने कहा कि सभी लोगों को एक नजर से नहीं देखा जा सकता. मानवीय पहलू से भी हमे इसे देखना चाहिए. जमीन भले ही आपकी हो, पर पुर्नवास की व्यवस्था होनी चाहिए. इस दौरान जस्टिस ओक ने कहा, कि कार्यकर्ताओं की ये भी शिकायत है कि उनके पक्ष को हाई कोर्ट में ठीक से नहीं सुना गया.

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