स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर पंचतत्व में विलीन गईं. उनके जीवन से जुड़े कई किस्से लोगों के जहन में आ रहे हैं. इसके साथ ही उनसे जुड़े कई जानक...
स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर पंचतत्व में विलीन गईं. उनके जीवन से जुड़े कई किस्से लोगों के जहन में आ रहे हैं. इसके साथ ही उनसे जुड़े कई जानकारियां भी लोग साझा कर रहे हैं. हम आपको ऐसा ही एक किस्सा बताने जा रहे हैं, जो छत्तीसगढ़ से जुड़ा हुआ है, क्योंकि इस किस्से की खासियत यह है कि इसमें लता मंगेशकर ने 250 प्रश्नों के जवाब दिए थे. यह जानकारी छत्तीसगढ़ के दुर्ग में रहने वाले पत्रकार डॉ श्याम कुमार ने दी है.
नसरीन मुन्नी कबीर ने लिखी है किताब
लता मंगेशकर के जीवन पर 2012 में दिल्ली की पत्रकार नसरीन मुन्नी कबीर ने किताब लिखी थी. इसका नाम है 'लता मंगेशकर इन हर ओन वॉइस'. इसे लिखने से पहले नसरीन मुन्नी कबीर ने लता मंगेशकर से कई मुलाकातें की थी. इस किताब में लता मंगेशकर ने 250 प्रश्नों के उत्तर दिए थे. किताब अंग्रेजी में लिखी गई थी. बाद में डॉ श्याम कुमार के अनुवादन में उसे कुछ नए पहलुओं के साथ हिंदी में प्रकाशित किया गया.
2012 से 2019 कर पुनर लेखन
साल 2012 से 2019 के बीच का पूरा वक्त 'लता मंगेशकर इन हर ओन वॉइस' को 'अपने खुद के शब्दों में लता मंगेशकर' बनाने में लग गया. इसके लिए डॉ श्याम कुमार ने काफी मशक्कत की थी. पुनर्लेखन में लता मंगेशकर के जीवन के कई अन्य पहलुओं को शामिल किया गया.
फाइनल करने में लगे 3 माह
डॉ श्याम कुमार बताते हैं कि अनुवाद के बाद किताब के फाइनल होने की बारी आई तो इसके प्रूफ रीडिंग में ही 3 माह का वक्त लग गया था. इसके लिए वाकायदा एक पैनल बनाया गया था. इतना वक्त अंग्रेजी के कुछ शब्दों के हिंदी में मायने न बदले इस प्रयास में लिया गया. आखिरकार लंबे सफर के बाद किताब लॉन्च हो गई.
नहीं मिला था ताई का समय
किताब पूरी होने के बाद प्रकाशक ने लता दीदी से समय भी लिया था, लेकिन 2020 में कोविड प्रोटोकॉल के चलते उनके समय नहीं मिल पाया. वैसे तो लता मंगेशकर के जीवन में कई प्रकार की किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, लेकिन एक वृहद साक्षात्कार की श्रंखला इसी किताब में देखने को मिलती है.
हर पहलू पर बेबाकी से बात
डॉ श्याम कुमार बताते हैं कि इस किताब में लता मंगेशकर ने अपने जीवन, परिवार, गायन और फिल्मी जगत के सफर पर बात करती है. बातों ही बातों में वो इसमें कई अन्य पहलुओं पर भी बेबाकी से अपनी बात रखती हैं. बहुत ही कम लोग जानते हैं कि लता दीदी की स्वीकृति प्राप्त इस किताब का हिंदी अनुवाद भी है
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