39 साल की लिने विलन एक दिन में 70 बार उल्टी करती हैं. इंग्लैंड की रहने वाली लिने एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रही हैं, जिसका नाम है गेस्ट्रो...
39 साल की लिने विलन एक दिन में 70 बार उल्टी करती हैं. इंग्लैंड की रहने वाली लिने एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रही हैं, जिसका नाम है गेस्ट्रोपेरेसिस. इस बीमारी के कारण मरीज कुछ भी पचा नहीं पाता. नतीजा, वो लगातार उल्टी और दर्द से जूझता रहा है.
क्या है गेस्ट्रोपेरेसिस बीमारी?
इस बीमारी में सीधा असर पेट की मांसपेशियों पर पड़ता है. आमतौर पर पेट से जुड़ी मांसपेशियां खाने को आगे की ओर खिसकाती हैं, इससे खाना पचता है. गेस्ट्रोपेरेसिस के कारण यही मांसपेशियां ठीक से काम नहीं करतीं. नतीजा, खाना पचता ही नहीं है
इस बीमारी की वजह क्या है, इसका पता अब तक नहीं चल पाया है. डॉक्टर्स का मानना है कि डायबिटीज या सर्जरी के बाद मरीजों में ऐसे मामले सामने आ सकते हैं. मेयो क्लीनिक के मुताबिक, ऐसी स्थिति में पेट में मरोड़ व दर्द होना, पेट में बनने वाले एसिड का मुंह में आ जाना, कुछ भी खाने के बाद उल्टी हो जाना, भूख न लगना, वजन घटना और कमजोरी आना इस बीमारी के लक्षण हैं.
ऐसी स्थिति में शरीर में पानी और पोषक तत्वों की कमी होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. इसके अलावा तेजी से ब्लड शुगर के लेवल में बदलाव दिखता है.
2008 में बीमारी का पता चला
लिने को 2008 में पता चला कि वो गेस्ट्रोपेरेसिस नाम की बीमारी से जूझ रही हैं. जांच में पुष्टि होने के बाद लिने की सर्जरी की गई और गैस्ट्रिक पेसमेकर लगाया गया ताकि उल्टी होने में दिक्कत न हो. सर्जरी के करीब दो साल बाद इस गैस्ट्रिक पेसमेकर इम्प्लांट की बैटरी में गड़बड़ी आने से फिर से बार-बार उल्टी आने की समस्या शुरू हो गई.
लिने कहती हैं, इम्प्लांट की बैटरी को बदलवाना भी आसान काम नहीं है. यह काफी महंगी है. इसकी कीमत 10 लाख रुपये है.
बेटी से दूर रहना पड़ेगा
लिने कहती है, बीमारी के इलाज के कारण उन्हें बेटी से दूर रहना पड़ता है. मैं हमेशा से ही खुद को बीमार महसूस करती है और दर्द से जूझती रहती थी. 22 साल की उम्र में जब मेरे पेट में बच्ची थी तो हालत और भी बिगड़ गई थी.
जांच से पहले मैं अपनी बीमारी की वजह नहीं समझ पा रही थी. जो कुछ भी खाती थी वो सब वापस उल्टी में निकल जाता था.
क्राउडफंडिंग से पैसे जुटा रहीं
लिने कहती हैं, पिछले दो सालों से वो जॉब भी नहीं कर पा रही हैं. इलाज के कारण लम्बे समय परिवार और दोस्तों से दूर रह रही हैं. इम्प्लांट की बैटरी को लगवाने के लिए क्राउडफंडिंग के जरिए पैसे जुटा रही हैं. 10 लाख रुपये का लक्ष्य रखा है लेकिन अब तक मात्र 3 लाख रुपये ही इकट्ठा हो पाए हैं. उम्मीद है जल्द ही अपने लक्ष्य तक पहुंच पाउंगी
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