आईपीएस अफसर बनने की ललक आज देश के बहुत से युवा बचपन से ही अपने मन में संजो कर रखते है कि वे भी आईपीएस अधिकारी बनकर देश की सेवा करे उनकी यह...
आईपीएस अफसर बनने की ललक आज देश के बहुत से युवा बचपन से ही अपने मन में संजो कर रखते है कि वे भी आईपीएस अधिकारी बनकर देश की सेवा करे उनकी यह मंजिल बहुत ही कठिन होता है उनका सपना सपना ही रहता है जब तक वे लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली भारत की सबसे बड़ी सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास ना कर ले। जिसके बाद ही वे अपनी मंजिल को पा सकते है । इस वजह से एक अच्छा आईपीएस अधिकारी बनने की इच्छा रखने वाले लोगों में कुछ क्वालिटी का होना अति आवश्यक है। लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण करना एक सपने से कम नहीं है। आपको हम एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जो एक दो बार नहीं बल्कि 5 बार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफल रहे हैं, आपको सुनकर यह आश्चर्य होगा लेकिन यह पूरी तरह से सत्य है। एक बार सिविल सर्विसेज का एग्जाम पास करना कितना कठिन होता, वही पांच बार इस परीक्षा को पास करना अपने आप मे ही अतुलनीय बात है । वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्यपाल के एडीसी आईपीएस त्रिलोक बंसल यह कारनामा कर चुके है। आईपीएस त्रिलोक बंसल ने मीडिया से बातचीत में अपने अब तक के सफर को साझा किया।
आईपीएस त्रिलोक बंसल मूलतः महासमुंद से है, इनकी प्रारंभिक एवं हायर सेकेंडरी तक की शिक्षा महासमुंद में ही संपन्न हुई। वर्ष 2006 में इन्होंने बीएचयू से आईआईटी सिविल से किया। यूपीएससी एग्जाम 2006 में इनका चयन भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के लिए हुआ। मिलिट्री इंजीनियरिंग सेवा, दिल्ली में उन्होंने वर्ष 2006 से 2008 तक सेवाएं दी, इस दौरान उन्होंने मानेक शॉ सेंटर (आर्मी सेंटर) जो कि 30 एकड़ में फैला है और करीब 100 करोड़ रुपए की लागत से बना है, इसके निर्माण कार्य की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई थी जिसका इन्होंने अपनी देखरेख में बखूबी निर्माण करवाया। वर्ष 2007 के यूपीएससी में इन्होंने पुनः सफलता प्राप्त करते हुए एमईएस के लिए चयनित हुए। वर्ष 2008 के यूपीएससी में एग्जाम में पुनः सफलता प्राप्त कर आईआरएसई (इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ़ इंजीनियरिंग) के लिए चयनित हुए तथा वहां वर्ष 2008 से 2016 तक अपनी सेवाएं जारी रखते हुए वर्ष 2014 के यूपीएससी में पुनः सफलता प्राप्त करते हुए दिल्ली पुलिस में एसीपी (असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस) के लिए चयनित हुए। वर्ष 2015 के यूपीएससी एग्जाम में पुनः सफलता प्राप्त करते हुए 97 रैंक के साथ यह आईपीएस के लिए चयनित हुए तथा एक वर्ष ट्रेनिंग के बाद पहली प्रोबेशनर पोस्टिंग जनवरी 2018 में दुर्ग जिला में हुई।
प्रोबेशनर ट्रेनिंग के बाद इन्हें अक्टूबर 2018 में सीएसपी (नगर पुलिस अधीक्षक) दुर्ग की जिम्मेदारी दी गई जहां इन्होंने मार्च 2019 तक अपनी सेवाएं दी। अप्रैल 2019 से नवंबर 2019 तक यह सीएसपी सिविल लाइन, रायपुर के पद पर पदस्थ रहे तथा नवंबर 2019 में इन्हें छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का एडीसी बनाया गया जहां यह अभी वर्तमान तक सेवाएं दे रहे है।
कॉलेज के समय से ही थे पढाई में अव्वल -
स्कूल के समय से ही आईपीएस त्रिलोक बंसल काफी प्रतिभा शाली छात्र थे पढ़ाई में अव्वल रहने के साथ मध्य प्रदेश बोर्ड एग्जाम में कक्षा 12वीं के पीसीएम विषय में 25वी रैंक हासिल किए जो कि महासमुंद जिले में इस विषय में पहली रैंक थी। इंजीनियरिंग के दौरान भी द्वितीय वर्ष में द्वितीय एवं तृतीय वर्ष में पहला स्थान पर रहे। कॉलेज स्तर पर पर्यावरण विषय पर हुए परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं।
परिवार में बड़े भाई-भाभी और बहन भी है प्रशासनिक सेवा में -
कॉलेज के समय से ही शासकीय सेवा में जाने की दृढ़ इच्छा रखने वाले आईपीएस त्रिलोक बंसल जब कॉलेज में अध्ययनरत थे, उसी वर्ष 2002 में इनके बड़े भाई श्रवण बंसल यूपीएससी एग्जाम क्वालीफाई कर आईआरएस (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) के लिए चयनित हुए, जो कि इनके लिए प्रेरणा रही। इनके पिताजी बिजनेसमैन हैं, इनकी भाभी भी आईआरएस अफसर है तथा छोटी बहन डिप्टी कलेक्टर है।
आईपीएस एग्जाम की तैयारी में जुटे युवाओ को दिया सन्देश -
आईपीएस एग्जाम की तैयारी करने वाले नौजवानों के लिए अपने अनुभव साझा करते हुए आईपीएस बंसल ने बताया कि कोई भी प्रतियोगी परीक्षा हो यूपीएससी, सीजीपीएससी आदि परीक्षाओं का सिलेबस बड़ा होता है। अंतिम समय में प्रतिभागी घबराने लगता है, तैयारी अच्छी रहने के बावजूद वह डरने लगता है। ऐसे समय में प्रतिभागियों को संयम बरतना चाहिए और तैयारी जारी रखना चाहिए। हमें यह पता नहीं रहता कि लक्ष्य हम से कितना दूर है, हम लक्ष्य के नजदीक पहुंच चुके होते हैं लेकिन डर की वजह से हम लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाते, इसलिए अंतिम समय में तैयारी और जोरो से करना चाहिए। टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है इसके लिए शुरुआत में काफी तकलीफ होती है जो हम प्लान करते हैं वह हो नही पाता , इसके लिए तीन तरह के लक्ष्य निर्धारित करें।
अगर इस एग्जाम के प्रतिभागी के पास अगर एक वर्ष का समय है तो छह महीने को लक्ष्य बनाएं कि मैं इतना सिलेबस तैयार कर लूंगा, फिर एक माह का फिर एक सप्ताह का लक्ष्य बनाकर तैयारी करें। एक सप्ताह के लक्ष्य में आप देखेंगे कि कितना आप पढ़ते है, अंदाजा लगाना बड़ा मुश्किल होता है एक सप्ताह का दो सप्ताह लग जाता है। हर हफ्ते का प्लान बना कर सुधारा जाएगा तो टाइम मैनेजमेंट सुधर जाएगा। हर हफ्ते का प्लानिंग जरूरी है। खुद के हाथ से सभी विषयों का नोट्स बनाएं, एग्जाम के लास्ट समय में रिवीजन के समय यह नोट्स बहुत उपयोगी सिद्ध होता है, यह नोट्स एग्जाम के डर को कम कर देता है। शॉर्ट नोट्स बनाने में समय बहुत लगता है लेकिन यह आगे चलकर बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। ग्रुप बनाकर आपस में डिस्कशन करते हुए तैयारी करें, इसमे ध्यान देने योग्य बात यह है कि अगर ग्रुप का कोई भी सदस्य तैयारी से भटकाता है तो उस से दूरी बनाने की कोशिश करें, इतना कुछ ईमानदारी से करने पर सफलता अवश्य मिलेगी।
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