छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा कर्मचारियों के 1 दिन की वेतन कटौती के संबंध में आदेश जारी हुआ है। उस पर कर्मचारी संघ की ओर से भूपेश बघेल जी से ...
छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा कर्मचारियों के 1 दिन की वेतन कटौती के संबंध में आदेश जारी हुआ है। उस पर कर्मचारी संघ की ओर से भूपेश बघेल जी से सवाल किया गया कि हम जानना चाहेंगे,जब राज्य सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में राशि उपलब्ध है, आप केंद्र सरकार को पत्र लिखकर वैक्सीन की संख्या और उसकी राशि की जानकारी मांगते हैं, और राज्य की जनता से कहते हैं कि राज्य सरकार केंद्र से लेकर मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध कराएगी, तो कर्मचारियों से वेतन कटौती किस बात का । जनता को बताना चाहिए कि आपका बटुवा खाली हो चुका है।
राज्य सरकार कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा करने में भी नाकाम रही है । छत्तीसगढ़ का मातृत्व राज्य मध्य प्रदेश जहां कर्मचारियों को कोरोना से मृत्यु के उपरांत अनुग्रह राशि के रूप में 10 लाख से ₹4000000 प्रदान किया जा रहा है, इसके साथ ही कर्मचारियों के उपचार के लिए चाहे निजी अस्पताल हो या सरकारी अस्पताल पूर्णता निशुल्क कर खर्च को राज्य सरकार वाहन कर रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ में लगातार कर्मचारियों की मृत्यु हो रही है ना ही कोई बीमा है और ना ही सरकार की ओर से स्वास्थ्य सुविधा।
छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रवि गढ़पाले एवं प्रांतीय संयोजक अनिल कुमार देवांगन एवं रायपुर जिलाध्यक्ष संजय ऐडे द्वारा बताया गया की विगत दिनों मेकाहारा में काम करने वाले कर्मचारी जो स्वयं कोरोना सैंपल इकट्ठा करने का कार्य पिछले 1 साल से लगे हुए थे और जिन्हें 3 महीने के वेतन से वंचित रखा गया था , खुद संक्रमित होने के बाद उनके लिए अस्पताल उपलब्ध नहीं हो पाया और तड़प तड़प की जान चली गई थी। जनसंपर्क विभाग में कार्यरत कर्मचारी को वैक्सीन उपलब्ध ना होने के कारण मृत्यु नसीब हुआ। राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों के लिए 5000000 अनुग्रह राशि का प्रावधान किया है । वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की हिटलर शाही सरकार ने कोरोना योद्धाओं के ऊपर एस्मा कानून लगाकर अपने तानाशाही होने का सबूत पेश किया है। कर्मचारी भी इंसान होते हैं।
कर्मचारी संगठन तत्काल प्रभाव से एस्मा कानून को हटाने ,सभी कर्मचारियों के बीमा और स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की मांग करता है।
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