एक पैर से दिव्यांग बुधारू के भी कुछ सपने हैं। वह चाहता है कि उसकी पढ़ाई पूरी हो। नौकरी मिल जाए और वह भी कुछ कमाकर परिवार की गरीबी दूर कर ...
एक पैर से दिव्यांग बुधारू के भी कुछ सपने हैं। वह चाहता है कि
उसकी पढ़ाई पूरी हो। नौकरी मिल जाए और वह भी कुछ कमाकर परिवार की गरीबी दूर कर सके।
कुछ इन्हीं उम्मीदों को पूरा करने वह अपने गाँव से राजधानी आकर पढ़ाई कर रहा है। एक
छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रहे बुधारू का अरमान था कि उसे छात्रावास से कॉलेज आने
जाने एक बैटरी वाली ट्राइसिकल मिल जाए। उसका यह अरमान बहुत दिनों तक अधूरा ही था।
आखिरकार वह अपनी फरियाद लेकर नगरीय प्रशासन एवं विकास तथा श्रम मंत्री डॉ शिवकुमार
डहरिया के पास पहुँचा तो मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया ने तत्काल ही उसकी माँग पूरी
कर दी। पहले उसकी समस्या जानी और हाल चाल की पूछपरख करते हुए सम्मानपूर्वक चाय
पिलवाई और बैटरी वाली ट्रायसिकल फौरन उपलब्ध करवाई। अब उसका अरमान पूरा होने के
साथ छात्रावास से लेकर कॉलेज तक का कठिन सफर भी आसान हो गया है।
दिव्यांग
छात्र बुधारू देवपुरी के छात्रावास में रहकर पढ़ाई करता है। उच्च शिक्षा लेकर वह
अपना बेहतर भविष्य बनाना चाहता है। उन्होंने बताया कि कॉलेज सहित अपने जरूरी काम
से घर से बाहर जाना उसके लिए बहुत मुश्किल काम था। हाथ से चलाने वाला ट्रायसिकल तो
उसके पास था लेकिन इससे उसे कहीं पहुँचने से लेकर आने-जाने में बहुत मेहनत और
परेशानी भी उठानी पड़ती थी। अपनी इस समस्या को जब उसने मंत्री डॉ डहरिया से मिलकर
बताई तो उन्होंने तत्काल अधिकारियों को निर्देश देकर बैटरी वाली ट्रायसिकल अपने
कार्यालय मंगवाएं और छात्र बुधारू को अपने हाथों से प्रदान किए।
अपनी
फरियाद तत्काल पूरी होने पर बुधारू ने मंत्री का आभार ही नहीं जताया,
उसने
कहा कि आपकी सोच और संवेदनशीलता का मैं कायल हूँ।उसने बताया कि वह गाँव जुनवानी से
राजधानी आकर पढ़ाई करता है। परिवार के लोग बहुत गरीब है।इसलिए बैटरी वाली
ट्राइसिकल खरीद पाना संभव नहीं हो पा रहा था। आपने मेरी मांग पल भर में पूरी करके
मेरी बहुत बड़ी समस्या का अंत किया है। उल्लेखनीय है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा
दिव्यंगों को शासन की योजनाओं के तहत निःशुल्क में ट्राइसिकल दी जाती है।
No comments