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छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक संत परम्परा पर आयोजित दो दिवसीय शोध संगोष्ठी हुआ सम्पन्न ,21 शोध पत्रों का हुआ वाचन।

रायपुर,  संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्त्व द्वारा महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर स्थित सभागार में छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक संत परम्परा पर...


रायपुर,  संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्त्व द्वारा महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर स्थित सभागार में छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक संत परम्परा पर आयोजित दो दिवसीय शोध संगोष्ठी सम्पन्न हुआ। इस संगोष्ठी के सभी सत्रों में 21 शोध पत्रों का वाचन किया गया।


शोध संगोष्ठी के चौथे अकादमिक सत्र में प्रोफेसर एल.एस. निगम ने स्वामी वल्लभाचार्य पर अपना वक्तव्य दिया एवं आचार्य रमेन्द्रनाथ मिश्र ने इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रस्तुत शोध पत्रों की समीक्षा की और आयोजन के विषय के महत्व पर प्रकाश डाला। पाचवें सत्र में डॉ. सत्यभामा आडिल ने संत कबीर और धनी धर्मदास पर सभा को संबोधित किया। छठे सत्र में डॉ. ब्रज किशोर प्रसाद और  ललित शर्मा ने महर्षि महेश योगी के पाण्डुका स्थित जन्मस्थल, आश्रम एवं प्राचीन भावातीत ध्यान पर सारगर्भित वक्तव्य दिये। डॉ. आभा रूपेन्द्र पाल ने सत्र की अध्यक्षता की।


संगोष्ठी के सातवें और अंतिम सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. पुनीत कुमार राय ने भारतीय संत परम्परा को रेखांकित करते हुए उसी तारतम्य में सरगुजा के संत गहिरा गुरूजी के जीवन यात्रा पर और उनके सामाजिक परिप्रेक्ष्य में योगदान पर विस्तार से चर्चा की। पद्मश्री राजमोहिनी देवी की सहयोगी आशा मानव ने उनके साथ भू-दान आंदोलन के दौरान किये गए संघर्षों को याद किया। अकादमिक सत्रों के समापन उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. पुरूषोत्तम चंद्राकर एवं साथियों द्वारा स्वामी आत्मानंद जी की गाथा एवं महंत लीलाधर साहू द्वारा कबीर भजन की प्रस्तुति दी गई।

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