रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना के सकारात्मक परिणाम ग्रामीण अंचल में दिखाई देने लगे हैं। इस योजना ने ग्रामीण अंचल में रोजगा...
रायपुर, छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना के
सकारात्मक परिणाम ग्रामीण अंचल में दिखाई देने लगे हैं। इस योजना ने ग्रामीण अंचल
में रोजगार को बढ़ावा देने के साथ ग्रामीणों की अतिरिक्त आय का जरिया बन गई है।
गोधन न्याय योजना में ग्रामीण महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है।
गौठानों में गोबर विक्रय से लेकर वर्मी खाद बनाने में महिलाओं की भागीदारी 50 फीसद से अधिक है। गौठानों से जुड़ी महिला
स्व-सहायता समूह गोधन न्याय योजना शुरू होने से काफी उत्साहित हैं। गोबर की
उपलब्धता सुनिश्चित होने से वर्मी खाद के उत्पादन में भी दिनों-दिन बढ़ोत्तरी होते
रही है। इस कारण महिला समूहों की आय में भी इजाफा होने लगा है। जांजगीर-चांपा जिले
के बलोदा विकास खंड के ग्राम औराईकला के मां वैष्णो देवी महिला स्व-सहायता समूह ने
गोबर से जैविक खाद तैयार किया और इसे बेचकर आठ हजार रुपए की आय अर्जित की। जिले
में संचालित विभिन्न गौठानों को सरकार की मंशानुसार आजीविका केंद्र के रूप में
विकसित किया जा रहा है। ग्राम औराईकला के गौठान से जु़ड़ी मां वैष्णो देवी महिला
स्व-सहायता समूह द्वारा उत्पादित 10 क्विंटल जैविक खाद का विक्रय किसानों को 8 रूपए प्रति किलोग्राम की दर से किया गया। इससे समूह की महिलाओं का आत्मविश्वास
बढ़ा है और वह वृहद पैमाने पर जैविक खाद के उत्पादन में जुट गई है।
महिला
स्व-सहायता समूह के द्वारा तैयार किए गए जैविक खाद को प्रयोगशाला में विश्लेषण के
लिए भेजा गया था। जांच में इसे मानक स्तर का पाया गया। इसे आकर्षक पैकेजिंग कर
विक्रय के लिए सहकारी सोसायटी में उपलब्ध कराया गया है। सोसायटी के माध्यम से अंचल
के कृषकों को 10
क्विंटल जैविक
खाद आठ रूपए प्रति किलो की दर से विक्रय किया गया। उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय
योजना का उद्देश्य पशुपालन को बढ़ावा देने के साथ-साथ कृषि लागत को कम करना और
जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देकर भूमि की उर्वरा शक्ति को बेहतर बनाना है। इस
योजना से पर्यावरण में सुधार के साथ-साथ ग्रामीण अंचल में रोजगार को बढ़ावा देना
तथा अर्थव्यवस्था को सुदृ़ढ़ करना है। गोधन न्याय योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में
रोजगार एवं अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने में मदद मिली है।
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