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आटा चक्की से आत्मनिर्भरता तक: जानकी नाग की उड़ान

रायपुर। लखपति दीदी“ जानकी नाग की बिहान योजना से आत्मनिर्भरता की ओर उड़ानभारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्...


रायपुर। लखपति दीदी“ जानकी नाग की बिहान योजना से आत्मनिर्भरता की ओर उड़ानभारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने हेतु चलाई जा रही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की बिहान योजना आज कई महिलाओं के जीवन में बदलाव की कहानी लिख रही है। इसी योजना की बदौलत छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के ग्राम सिरको की श्रीमती जानकी नाग आज ग्रामीण आत्मनिर्भरता की प्रेरणादायक मिसाल बन चुकी हैं। उन्होंने न केवल स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि अपने साथ गांव की कई अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार की राह दिखाई है।

जानकी नाग ने प्रगति स्व-सहायता समूह से जुड़कर अपने आत्मनिर्भर जीवन की शुरुआत की। उन्हें योजना के तहत 15 हजार रुपए की रिवॉल्विंग फंड और बाद में 60 हजार रुपए का कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड मिला। इस पूंजी का उपयोग कर जानकी ने आटा चक्की और सिलाई मशीन जैसे स्वरोजगार के संसाधनों की स्थापना की और अपने व्यवसाय का विस्तार किया। समूह के मार्गदर्शन और बैंक ऋण की मदद से जानकी का व्यापार लगातार बढ़ता गया। आज उनकी वार्षिक आय 80 हजार रुपए तक पहुंच चुकी है, और वे हर महीने औसतन 07 हजार रुपए की आय अर्जित कर रही हैं।

साल 2024 में जानकी को ’पशु सखी’ की जिम्मेदारी भी सौंपी गई, जिससे उन्हें हर माह 1,910 रुपए की अतिरिक्त आय हो रही है। इस आय से जानकी न सिर्फ अपने परिवार की जरूरतें पूरी कर रही हैं, बल्कि अपने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रख रही हैं।जानकी गर्व से कहती हैं,“समूह से जुड़ने के बाद मुझे अपनी पहचान मिली है। अब मैं आत्मनिर्भर हूं और अपने पैरों पर खड़ी हूं। मुझे खुद पर और अपने काम पर गर्व है।“ उड़ान महिला संकुल संगठन, सांकरा और प्रकाश महिला ग्राम संगठन, सिरको के सहयोग से जानकी ने जिस संकल्प और आत्मबल के साथ सफलता पाई है, वह आज ग्रामीण महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बन चुकी है।

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