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अन्नामलाई के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद, अन्नाद्रमुक और भाजपा के रिश्तों में और खटास

तमिलनाडु।  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हमेशा से ही राज्य में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के मुखर आलोचक रहे हैं और 2021 मे...


तमिलनाडु।  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हमेशा से ही राज्य में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के मुखर आलोचक रहे हैं और 2021 में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभालने वाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी के अन्नामलाई भी इसके अपवाद नहीं हैं।

उन्होंने अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान द्रमुक को लगातार निशाना बनाया। चार साल तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के बाद, अन्नामलाई शुक्रवार को राज्य के उन दस नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने प्रदेश में पार्टी नेतृत्व के लिए मौजूदा उपाध्यक्ष नयनार नागेंद्रन का नाम प्रस्तावित किया।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पार्टी राष्ट्रीय पर अन्नामलाई के लिए एक बड़ी भूमिका की परिकल्पना करती है। पुलिस अधिकारी से राजनीति में आए 40 वर्षीय अन्नामलाई को राज्य में अपनी ‘एन मन एन मक्कल’ (मेरी जमीन, मेरे लोग) यात्रा के लिए जाना जाता है।

पार्टी की परंपरा के अनुसार, उनके पूर्ववर्ती और मौजूदा केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन ने ‘वेल यात्रा’ निकाली थी और अतीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन ने पूरे राज्य में ‘थामराई यात्रा’ निकाली थी।

अन्नामलाई ने 2021 के विधानसभा चुनाव में करूर जिले के अरवाकुरिची निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी राजनीति की और लेकिन असफल रहे। उन्होंने 2024 कालोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन जीत नहीं मिली।

अन्नामलाई द्वारा द्रमुक पर किये गए कटाक्षों का उनकी पार्टी के सदस्यों और यहां तक ​​कि अन्नाद्रमुक ने भी समर्थन किया। लेकिन, जब उन्होंने अन्नाद्रमुक नेताओं पर निशाना साधना शुरू किया तो अन्नाद्रमुक ने अपने गठबंधन पर पुनर्विचार शुरू कर दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों दलों के संबंध तब खराब हो गए जब अन्नाद्रमुक ने भाजपा से अलग होने की घोषणा की।

लोकसभा चुनाव-2024 के प्रचार अभियान ने एक दिलचस्प मोड़ तब लिया जब अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी ने अन्नामलाई को ‘‘प्रचार का भूखा’’ कहा।

अन्नामलाई ने पलटवार करते हुए पलानीस्वामी को भाजपा के साथ चुनावी संबंध तोड़ने के लिए ‘‘खट्टे अंगूर’’ वाली कहानी सुनाई। ऐसा प्रतीत हुआ कि भाजपा और अन्नाद्रमुक की इस जुबानी जंग का लाभ राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक को हुआ।

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