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समाज की भागीदारी से बनेगा कोरिया बाल विवाह मुक्त : कलेक्टर

कोरिया। जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने के उद्देश्य से कलेक्ट्रेट सभाकक्ष, बैकुंठपुर में कलेक्टर चंदन त्रिपाठी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण ...

कोरिया। जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने के उद्देश्य से कलेक्ट्रेट सभाकक्ष, बैकुंठपुर में कलेक्टर चंदन त्रिपाठी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों, पंचायत प्रतिनिधियों, समाजसेवियों, व्यापारियों और अन्य प्रमुख लोगों ने भाग लिया। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में बाल विवाह रोकने के प्रभावी उपायों पर चर्चा की गई।

बैठक को संबोधित करते हुए कलेक्टर ने कहा कि बाल विवाह की समस्या का स्थायी समाधान तभी संभव है जब प्रशासन और समाज मिलकर इस कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाएं। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में बाल विवाह के दुष्प्रभावों की जानकारी देना आवश्यक है, ताकि समाज इसके प्रति जागरूक हो और इसे रोकने के लिए स्वयं आगे आए।

कलेक्टर त्रिपाठी ने कहा कि 6 से 14 वर्ष आयु के बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करना और किसी भी विद्यार्थी को बीच में पढ़ाई न छोड़ने देना इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है। इसके लिए अभिभावकों और शिक्षकों को विशेष प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि अशिक्षा और जागरूकता की कमी ही बाल विवाह के प्रमुख कारण हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों और कॉलेजों में बाल विवाह उन्मूलन को लेकर नियमित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रतिनिधि ने कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए समाज को जागरूक करने के साथ ही कानूनी कठोरता भी जरूरी है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनने दें और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों का विवाह न करें।

पुलिस विभाग के अधिकारियों ने कार्यशाला में कहा कि यदि किसी को बाल विवाह की सूचना मिलती है, तो तुरंत प्रशासन को अवगत कराएं। प्रशासन तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करेगा।

छत्तीसगढ़ में बाल विवाह की दर 12.1 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत से कम है। लेकिन कोरिया जिले में यह दर 22.89 प्रतिशत है। आसपास के जिलों में यह आंकड़ा बलरामपुर 24.60 प्रतिशत, सूरजपुर 34.28 प्रतिशत, जशपुर 21.90 प्रतिशत और सरगुजा 18.70 प्रतिशत है।

कलेक्टर ने कहा कि जिन जिलों में शिक्षा और जागरूकता का विस्तार हुआ है, वहां बाल विवाह के मामले कम हैं। उन्होंने इस दिशा में सभी पंचायत प्रतिनिधियों, समाजसेवियों और शिक्षकों को जागरूकता बढ़ाने के लिए आगे आने की अपील की।

बाल विवाह एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है। इसे रोकने के लिए हर जिले में बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) की नियुक्ति की गई है। 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह करवाना अपराध है। ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। न्यायालय को यह अधिकार है कि वह बाल विवाह रोकने के लिए निषेधाज्ञा जारी कर सके।

बैठक में उपस्थित समाजसेवियों और पंचायत प्रतिनिधियों ने प्रशासन को आश्वस्त किया कि वे गांव-गांव में इस कुप्रथा के खिलाफ अभियान चलाएंगे और बाल विवाह रोकने के लिए सक्रिय भागीदारी निभाएंगे।

अंत में कलेक्टर चंदन त्रिपाठी ने कहा, बाल विवाह रोकना केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समाज की नैतिक जिम्मेदारी है। यदि हर व्यक्ति इसे रोकने में सहयोग करे, तो हम जल्द ही कोरिया जिले को बाल विवाह मुक्त बना सकते हैं।

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